आपने टीवी विज्ञापनों और पत्रिकाओं में 'एक इंजेक्शन और मोटापे की छुट्टी' जैसे वाक्यांश सुने होंगे। वजन घटाने वाली कंपनियां अक्सर इसी तरह के शब्दों का उपयोग कर लोगों को अपने उत्पादों की ओर आकर्षित करती हैं। एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 2050 तक भारत में लगभग 44 करोड़ लोग मोटापे से प्रभावित होंगे। इस समस्या से निपटने के लिए भारत में भी वजन घटाने वाली दवाओं की मांग बढ़ रही है। वर्तमान में, भारत में दो प्रमुख दवाएं उपलब्ध हैं, जो मुख्यतः डायबिटीज के प्रबंधन के लिए उपयोग की जाती हैं, लेकिन ये वजन घटाने में भी सहायक हैं। इन दवाओं के नाम हैं एली लिली की मौनजारो और नोवो नॉर्डिस्क की वेगोवी।
भारत में मौनजारो की बिक्री
मौनजारो को मार्च में लॉन्च किया गया था, और इसके बाद से इसकी बिक्री में तेजी आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दवा की बिक्री मार्च 2025 में 50 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। फार्माट्रैक के आंकड़ों के अनुसार, मौनजारो की मासिक बिक्री मई में 13 करोड़ रुपये से बढ़कर जून में 26 करोड़ रुपये हो गई।
क्या वेट लॉस दवाएं प्रभावी हैं?
हालांकि, रिसर्च से पता चला है कि असल जीवन में इन दवाओं की प्रभावशीलता परीक्षणों की तुलना में कम होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि इन दवाओं से मोटापे की महामारी को समाप्त करने की संभावना है, लेकिन यह उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जिनके पास इनका खर्च उठाने की क्षमता नहीं है।
मौनजारो और वेगोवी का कार्यप्रणाली
ये दवाएं इंसुलिन के प्राकृतिक हार्मोन की नकल करती हैं, जो ब्लड शुगर और भूख को नियंत्रित करती हैं। इन्हें सप्ताह में एक बार इंजेक्शन के माध्यम से लिया जाता है। ये दवाएं न केवल वजन कम करने में मदद करती हैं, बल्कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में हार्ट संबंधी जोखिम को भी कम करती हैं।
भारत में मोटापे की स्थिति
भारत में लगभग 40 प्रतिशत लोग अधिक वजन वाले हैं, और हर चार में से एक वयस्क मोटापे से ग्रस्त है। यह स्थिति गंभीर चुनौती बनती जा रही है, और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह समस्या और बढ़ सकती है।